Kalme

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१. पहला कलमा तय्यब:

لَا إِلٰهَ إِلَّا الله مُحَمَّدٌ رَسُولُ الله

 

” ला इलाहा इलल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाहि “

» तर्जुमा: अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और हज़रत मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के नेक बन्दे और आखिरी रसूल है.

 

२. दूसरा कलमा शहादत:


أَشْهَدُ أنْ لا إلَٰهَ إِلَّا اللهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيْكَ لَهُ وَأشْهَدُ أنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ‎ 

” अश-हदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाहु वह दहु ला शरी-क लहू व अशदुहु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु “

» तर्जुमा: मैं गवाही देता हु के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं. वह अकेला है उसका कोई शरीक नहीं. और मैं गवाही देता हु कि (हज़रत) मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के नेक बन्दे और आखिरी रसूल है।

 

३. तीसरा कलमा तमजीद:


سُبْحَان اللهِ وَالْحَمْدُلِلّهِ وَلا إِلهَ إِلّااللّهُ وَاللّهُ أكْبَرُ وَلا حَوْلَ وَلاَ قُوَّةَ إِلَّا بِاللّهِ الْعَلِيِّ الْعَظِيْم‎ 

” सुब्हानल्लाही वल् हम्दु लिल्लाहि वला इला-ह इलल्लाहु वल्लाहु अकबर, वला हौल वला कूव्-व-त इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अजीम “

» तर्जुमा: अल्लाह पाक है और सब तारीफें अल्लाह ही के लिए है और अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं. इबादत के लायक तो सिर्फ अल्लाह है और अल्लाह सबसे बड़ा है और किसी में न तो ताकत है न बल लेकिन ताकत और बल तो अल्लाह ही में है जो बहुत शान वाला और बड़ा है.

 

४. चौथा कलमा तौहीद:


لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللهُ وَحْدَهٗ لَا شَرِيْكَ لَهٗ لَهُ الْمُلْكُ وَ لَهُ الْحَمْدُ يُحْىٖ وَ يُمِيْتُ وَ هُوَحَیٌّ لَّا يَمُوْتُ اَبَدًا اَبَدًاؕ ذُو الْجَلَالِ وَالْاِكْرَامِؕ بِيَدِهِ الْخَيْرُؕ وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شیْ ٍٔ قَدِیْرٌؕ‎ 

” ला इलाह इल्लल्लाहु वह्-दहु ला शरीक लहू लहुल मुल्क व लहुल हम्दु युहयी व युमीतु व हु-व हय्युल-ला यमूतु अ-ब-दन अ-ब-दा जुल-जलालि वल इक् रामि वियदि-हिल खैर व हु-व अला कुल्लि शैइन क़दीर “

» तर्जुमा: अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं इबादत के लायक, वह एक है, उसका कोई साझीदार नहीं, सबकुछ उसी का है. और सारी तारीफ़ें उसी अल्लाह के लिए है. वही जिलाता है और वही मारता है. और वोह जिन्दा है, उसे हरगिज़ कभी मौत नहीं आएगी. वोह बड़े जलाल और बुजुर्गी वाला है. अल्लाह के हाथ में हर तरह कि भलाई है और वोह हर चीज़ पर क़ादिर है.

 

५. पांचवाँ कलमा इस्तिग़फ़ार:


اَسْتَغْفِرُ اللهَ رَبِّىْ مِنْ كُلِّ ذَنْۢبٍ اَذْنَبْتُهٗ عَمَدًا اَوْ خَطَا ًٔ سِرًّا اَوْ عَلَانِيَةً وَّاَتُوْبُ اِلَيْهِ مِنَ الذَّنْۢبِ الَّذِیْٓ اَعْلَمُ وَ مِنَ الذَّنْۢبِ الَّذِىْ لَآ اَعْلَمُ اِنَّكَ اَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوْبِ

وَ سَتَّارُ الْعُيُوْبِ و َغَفَّارُ الذُّنُوْبِ وَ لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ اِلَّا بِاللهِ الْعَلِىِّ الْعَظِيْمِؕ

” अस्तग़-फिरुल्ला-ह रब्बी मिन कुल्लि जाम्बिन अज-नब-तुहु अ-म-द-न अव् ख-त-अन सिर्रन औ अलानियतंव् व अतूवु इलैहि मिनज-जम्बिल-लजी ला अ-अलमु इन्-न-क अन्-त अल्लामुल गुयूबी व् सत्तारुल उवूबि व् गफ्फा-रुज्जुनुबि वाला हो-ल वला कुव्-व-त इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अजीम “

» तर्जुमा: मै अपने परवरदिगार (अल्लाह) से अपने तमाम गुनाहो कि माफ़ी मांगता हुँ जो मैंने जान-बूझकर किये या भूल कर किये, छिप कर किये या खुल्लम खुल्ला किये और तौबा करता हु मैं उस गुनाह से, जो मैं जनता हु और उस गुनाह से जो मैं नहीं जानता. या अल्लाह बेशक़ तू गैब कि बाते जानने वाला और ऐबों को छिपाने वाला है और गुनाहो को बख्शने वाला है और (हम मे) गुनाहो से बचने और नेकी करने कि ताक़त नहीं अल्लाह के बगैर जो के बोहोत बुलंद वाला है.

 

6. छटा कलमा रद्देकुफर :

اَللّٰهُمَّ اِنِّیْٓ اَعُوْذُ بِكَ مِنْ اَنْ اُشْرِكَ بِكَ شَيْئًا وَّاَنَآ اَعْلَمُ بِهٖ وَ اَسْتَغْفِرُكَ لِمَا لَآ اَعْلَمُ بِهٖ تُبْتُ عَنْهُ وَ تَبَرَّأْتُ مِنَ الْكُفْرِ وَ الشِّرْكِ وَ الْكِذْبِ وَ الْغِيْبَةِ وَ الْبِدْعَةِ

وَ النَّمِيْمَةِ وَ الْفَوَاحِشِ وَ الْبُهْتَانِ وَ الْمَعَاصِىْ كُلِّهَا وَ اَسْلَمْتُ وَ اَقُوْلُ لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللهُ مُحَمَّدٌ رَّسُوْلُ اللهِؕ

अल्लाहुम-म इन्नी अऊजुबि-क मिन अन् उश्-रि-क बि-क शैअंव व अ्ना अअ्-ल-मृ बिही व अस्तग़फिरू-क लिमा ला अअ्-लमु बिही तुब्तु अनहु व तबर्रातु मिनल् कुफ्-रि वश् शिर्की वल् किज्-बि वल ग़ी्-ब-ति वल् बिद अ़ति वन् न-मी-म-ति वल् फ़वाहिशि वल बुह्तानि वल् मआसी कुल्लिहा व अस्लम्तु व अक़ुलु ला इला-ह इल्लल्लाहु मुहम्मदुर रसूलुल्लाह

तर्जुमा : ए अल्लाह मै तेरी पनाह माँगता हूँ इस बात से कि किसी चीज़ को तेरा शरीक बनाऊ और मुझे उस का इलम हो और माफ़ी माँगता हूँ तुझ से उस गुनाह से जिसका मुझे इलम नहीं मैंने उस से तोबा की और उस से बेज़ार हुआ कुफ्र से और शिरक से और झूट से और गीबत से और बिदअत से और चुगली से और बे-हयाई के कामों से और तोहमत लगाने से और हर किस्म की ना-फ़रमानीयों से और मै ईमान लाया और मै कहता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं मुहम्मद (सल:) अल्लाह के रसूल है.

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