Ghusl-Mase-Mayait

Ghusl-Mase-Mayait

ग़ुस्ले मसे मैयित
यह वह ग़ुस्ल है जो किसी मुर्दा इंसान को छूने के बाद किया जाता है।
गुस्ल की नीयत –
नवैतो अन अग तसिला मिन गुस्लिल मसे मैयित ले रफेइल ह-द-से
अशहदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाहु इलाल लाहू व अशदुहु अन्न मुहम्मदन रसुलुहू 
तर्जुमा –
नियत की मैंने के गुस्ल करू मसे मैयित नापाकी को दूर करने के लिए
गुस्ल की दुआ –

गुस्ल की हदीस –

गुस्ल का तरीका -
अगर कोई शख़्स किसी ऐसे मुर्दा इंसान के बदन को छुए जो ठंडा हो चुका हो और जिसे ग़ुस्ल न दिया गया हो यानी अपने बदन का कोई हिस्सा उससे लगाए तो उसे चाहिये कि ग़ुस्ले मसे मैयित करे। ख़्वाह उसने नीन्द की हालत में उसका बदन छुआ हो या बेदारी के आलम में, और ख़्वाह इरादी तौर पर छुआ हो या ग़ैर इरादी तौर पर हत्ता की अगर उसका नाख़ून या हड्डी मुर्दे के नाख़ून या हड्ड़ी से छू जाए तब भी उसे चाहिये कि ग़ुस्ल करे लेकिन अगर मुर्दा हैवान को छुए तो उस पर ग़ुस्ल वाजिब नहीं है। जिस मुर्दे का तमाम बदन ठंडा न हुआ हो उसे छूने से ग़ुस्ल वाजिब नहीं होता ख़्वाह उसने बदन का जो हिस्सा छुआ हो वह ठंडा हो चुका हो। अगर कोई शख़्स अपने बाद मुर्दे के बदन से लगाए या अपना बदन मुर्दे के बालों से लगाए तो उस पर ग़ुस्ल वाजिब नहीं है। मुर्दा बच्चे को छूने पर हत्ता कि ऐसे सिक्त शुदा बच्चे को छूने पर जिसके बदन में रूह दाखिल हो चुकी हो ग़ुस्ले मसे मैयित वाजिब है। इस बिना पर अगर मुर्दा बच्चा पैदा हुआ हो और उसका बदन ठंडा हो चुका हो और वह मां के ज़ाहिरी हिस्से को छू जाए तो मां को चाहिये कि ग़ुस्ले मसे मैयित करे बल्कि अगर ज़ाहिरी हिस्से को मस न करे तब भी मां को चाहिये की एहतियाते वाजिब की बिना पर ग़ुस्ले मसे मैयित करे। जो बच्चा मां के मर जाने और उसका बदन ठंडा हो जाने के बाद पैदा हो अगर वह मां के बदन के ज़ाहिरी हिस्से को मस करे तो उस पर वाजिब है कि जब बालिग़ हो तो ग़ुस्ले मसे मैयित करे बल्कि अगर मां के बदन के ज़ाहिरी हिस्से को मस न करे तब भी एहतियात की बिना पर ज़रूरी है कि वह बच्चा बालिग़ होने के बाद ग़ुस्ले मसे मैयित करे। अगर कोई शख़्स एक ऐसी मैयित को मस करे जिसे तीन ग़ुस्ल मुकम्मल तौर पर दिये जा चुके हों तो उस पर ग़ुस्ल वाजिब नहीं होता। लेकिन अगर वह तीसरा ग़ुस्ल मुकम्मल होने से पहले उसके बदन के किसी हिस्से को मस करे तो ख़्वाह उस हिस्से को तीसरा ग़ुस्ल दिया जा चुका हो उस शख़्स के लिये ग़ुस्ले मसे मैयित करना ज़रूरी है। अगर कोई दीवाना या नाबालिग़ बच्चा मैयित को मस करे तो दीवाने को आक़िल होने और बच्चे को बालिग़ होने के बाद ग़ुस्ले मसे मैयित करना ज़रूरी है। अगर किसी ज़िन्दा शख़्स के बदन से या किसी ऐसे मुर्दे के बदन से जिसे ग़ुस्ल न दिया गया हो एक हिस्सा जुदा हो जाए और इससे पहले कि जुदा होने वाले हिस्से को ग़ुस्ल दिया जाए कोई शख़्स उसे मस कर ले तो क़ौले अक़्वा की बिना पर अगरचे उस हिस्से में हड्डी हो, ग़ुस्ले मसे मैयित करना ज़रूरी नहीं। एक ऐसी हड्डी के मस करने से जिसे ग़ुस्ल न दिया गया हो ख़्वाह वह मुर्दे के बदन से जुदा हुई हो या ज़िन्दा शख़्स के बदन से ग़ुस्ल वाजिब नहीं है। और दांत ख़्वाह मुर्दे के बदन से जुदा हुए हों या ज़िन्दा शख़्स के बदन से, उनके लिये भी यही हुक्म है। ग़ुस्ले मसे मैयित का तरीक़ा वही है जो ग़ुस्ले जनाबत का है लेकिन जिस शख़्स ने मैयित को मस किया हो अगर वह नमाज़ पढ़ना चाहे तो एहतियाते मुस्तहब यह है कि वुज़ू भी करे। अगर कोई शख़्स कई मैयितों को मस करे या एक मैयित को कई बार मस करे तो एक ग़ुस्ल काफ़ी है। जिस शख़्स ने मैयित को मस करने के बाद ग़ुस्ल न किया हो उसके लिये मस्जिद में ठहरना और बीवी से जिमाअ करना और उन आयात का पढ़ना जिनमें सज्दा वाजिब है मम्नूउ नहीं है लेकिन नमाज़ और उस जैसी इबादत के लिये ग़ुस्ल करना ज़रूरी है।
गुस्ल करने का सुन्नत तरीका –
गुस्ल की दिल में नियत करे साथ ही ज़बान से कहे तो अफज़ल है. अब दोनों हाथ कलाई तक तीन मर्तबा अच्छी तरह धोये फिर शर्मगाह और उसके आसपास के हिस्सों को धोये चाहे वहाँ गन्दगी लगी हो या नहीं हो. फिर बदन पर जहाँ नजासत लगी हो उसे दूर करें, फिर वजू करें यानी तीन बार कुल्ली करें. की हलक के आखरी हिस्से, दांतों की किन्दो, मसुडो में वगैरह बह जाए. कोई चीज़ दातों में अटकी हो तो उसे निकाले. अब तीन मर्तबा नाक में पानी इस तरह डाले के नाक के आखरी हिस्से (हड्डी) तक पानी पहुँच जाए, अब तीन मर्तबा चेहरे को इस तरह धोये की पेशानी से लेकर ठोटी तक और एक कान से दुसरे कान की लो तक, फिर तीन मर्तबा कोहनियों समेत हाथों पर पानी बहाए. फिर सर का मसा करे. अब अगर आप किसी ऊंची चीज़ यानी चोखी या पत्थर पर नहा रहे है तो पैर धोये वर्ना न धोये.
फिर बदन पर तेल की तरह पानी चुपड़े. फिर 3 मर्तबा दाहिने कंधे पर पानी बहाए फिर बाए कंधे पर 3 बार पानी बहाए फिर सर और तमाम बदन पर 3 मर्तबा पानी बहाए और जिस्म मलते जाए. इसतरह की जिस्म का कोई हिस्सा सुखा न रहे. सर के बालों की जड़ों में, बगल में, शर्मगाह के हर हिस्से में सब जगह पानी पहुँचना जरुरी है. अगर ऊँगली में अंगूठी हो तो घुमाकर पानी पहुंचाये. औरतें अपने कान की बाली, नाक की नथनी वगेराह को घुमाकर पानी पहुँचाये. औरतें सर के बाल खोल ले तो बेहतर है वर्ना ये एहतियात जरुरी है की सर के बाल और सर की जड़ों तक पानी जरुर पहुँचे. अब आपने वजू में पैर न धोये हो तो धो ले. गुस्ल करते वक़्त कोई कलाम या दुआ न पढ़े और क़िबला रुख न हो. अब आप इस्लामी शरियत के मुताबिक पाक हो गए. अब आप साबुन वगैराह हो भी जाईज़ चीज़ लगाना हो लगा सकते है.
(फतवा-ए-रजविया जिल्द २, सफा 18, कानून-ए-शरीयत हिस्सा 1, सफा 41)

Share This: