Ghusl-Mayait

Ghusl-Mayait

ग़ुस्ले मैयित
यह वह ग़ुस्ल है जो मुर्दा इंसान को दिया जाता है।
गुस्ल की नीयत –
नवैतो अन अग तसिला मिन गुस्लिल मैयित ले रफेइल ह-द-से
अशहदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाहु इलाल लाहू व अशदुहु अन्न मुहम्मदन रसुलुहू 
तर्जुमा –
नियत की मैंने के गुस्ल करू मैयित नापाकी को दूर करने के लिए
गुस्ल की दुआ –

गुस्ल की हदीस –

गुस्ल का तरीका -
गुस्ल का तरीका ये हे कि जिस तख्त पर नहलाने का इरादा हो उस तख्त को अच्छी तरह पाक करले और उस तख्त को तीन या पाच या सात मरतबा किसी खुशबु कि धुनी दे जैसे चन्दन कि या कोइ भी लुबान धुनी जिस चीज मे खुशबु सुलगाइ हो उसको तख्त के चारो तरफ फिराए, फिर उस तख्त पर मय्यत को लेटा कर नाफ से घुटनों तक किसी कपङे से छुपा दे फिर गुस्ल देने वाला अपने हाथ पर कपङा लपेट कर पहले इस्तिन्जा कराए फिर मय्यत को नमाज के जैसा वुज़ु कराए यानि पहले मय्यत का मुह धोए फिर कोहनियों समेत दोनो हाथ धोए फिर सर का मसा करे, फिर पाँव धोए (नमाज के वुजु और मय्य्त के वुजु मे ये फर्क हे के मय्यत के वुजु मे गट्टो तक पहले हाथ धोना और कुल्ली करना और नाक मे पानी डालना नही है) हाँ कोई कपङा या रुई का फोया पानी मे भिगोकर दाँतों और मसुङो और होटो और नाक के दोनो नथनो पर फेर दे फिर सर और दाङि के बाल हो तो गुल खेरु से धोए यह न हो तो पाक साबुन इस्लामी कारखाने का बना हुआ या बेसन या किसी और चीज से वरना खाली पानी भी काफी है, फिर मय्यत को बाये करवट लेटा कर सर से पाँव तक बेरी का पानी इतना बहाए के तख्ते तक पहुच जाए इसी तरीके से दाए करवट लेटा कर पानी बहाए बाल बराबर बदन सुखा न रहे,अगर बैरी का पानी न हो तो खाली निम का गरम पानी भी काफी हे, फिर मय्यत को टेका लगाकर बैठाए और नरमी के साथ निचे को मय्यत के पेट पर हाथ फेरे, अगर कुछ गन्दगी निकले तो धो डाले, वुजु और गुस्ल को दोबारा लोटाने कि ज़रुरत नही है, फिर आखिर मे सर से पाँव तक काफूर का पानी बहाए फिर मय्यत के बदन को कोई पाक कपङे से आहिस्ता पोछ दे.
(निज़ामे शरीयत, सफा, 272)

गुस्ल करने का सुन्नत तरीका –
गुस्ल की दिल में नियत करे साथ ही ज़बान से कहे तो अफज़ल है. अब दोनों हाथ कलाई तक तीन मर्तबा अच्छी तरह धोये फिर शर्मगाह और उसके आसपास के हिस्सों को धोये चाहे वहाँ गन्दगी लगी हो या नहीं हो. फिर बदन पर जहाँ नजासत लगी हो उसे दूर करें, फिर वजू करें यानी तीन बार कुल्ली करें. की हलक के आखरी हिस्से, दांतों की किन्दो, मसुडो में वगैरह बह जाए. कोई चीज़ दातों में अटकी हो तो उसे निकाले. अब तीन मर्तबा नाक में पानी इस तरह डाले के नाक के आखरी हिस्से (हड्डी) तक पानी पहुँच जाए, अब तीन मर्तबा चेहरे को इस तरह धोये की पेशानी से लेकर ठोटी तक और एक कान से दुसरे कान की लो तक, फिर तीन मर्तबा कोहनियों समेत हाथों पर पानी बहाए. फिर सर का मसा करे. अब अगर आप किसी ऊंची चीज़ यानी चोखी या पत्थर पर नहा रहे है तो पैर धोये वर्ना न धोये.
फिर बदन पर तेल की तरह पानी चुपड़े. फिर 3 मर्तबा दाहिने कंधे पर पानी बहाए फिर बाए कंधे पर 3 बार पानी बहाए फिर सर और तमाम बदन पर 3 मर्तबा पानी बहाए और जिस्म मलते जाए. इसतरह की जिस्म का कोई हिस्सा सुखा न रहे. सर के बालों की जड़ों में, बगल में, शर्मगाह के हर हिस्से में सब जगह पानी पहुँचना जरुरी है. अगर ऊँगली में अंगूठी हो तो घुमाकर पानी पहुंचाये. औरतें अपने कान की बाली, नाक की नथनी वगेराह को घुमाकर पानी पहुँचाये. औरतें सर के बाल खोल ले तो बेहतर है वर्ना ये एहतियात जरुरी है की सर के बाल और सर की जड़ों तक पानी जरुर पहुँचे. अब आपने वजू में पैर न धोये हो तो धो ले. गुस्ल करते वक़्त कोई कलाम या दुआ न पढ़े और क़िबला रुख न हो. अब आप इस्लामी शरियत के मुताबिक पाक हो गए. अब आप साबुन वगैराह हो भी जाईज़ चीज़ लगाना हो लगा सकते है.
(फतवा-ए-रजविया जिल्द २, सफा 18, कानून-ए-शरीयत हिस्सा 1, सफा 41)

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