Ghusl-e-haiz

Ghusl-e-haiz

ग़ुस्ले हैज़
यह वह ग़ुस्ल है जो स्त्री मासिक समाप्त होने के बाद करती है।
गुस्ल की नीयत –
नवैतो अन अग तसिला मिन गुस्लिल हैज़ ले रफेइल ह-द-से
अशहदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाहु इलाल लाहू व अशदुहु अन्न मुहम्मदन रसुलुहू 
तर्जुमा –
नियत की मैंने के गुस्ल करू हैज़ नापाकी को दूर करने के लिए
गुस्ल की दुआ –

गुस्ल की हदीस –

गुस्ल का तरीका –
गुस्ल दो तरीकों से अंजाम दिया जा सकता है. (1) तरतीबी (2) इरतेमासी
ग़ुस्ले तरतीबी -  
एहतियाते लाज़िम यह है कि अगर इंसान ग़ुस्ले तरतीबी करना चाहे तो नियत करने के बाद, पहले अपने सर व गर्दन को धोये और बाद में बदन को। बेहतर यह है कि पहले बदन का दाहिना हिस्सा धोये और बाद में बायाँ हिस्सा। अगर कोई इंसान ग़स्ले तरतीबी की नियत से अपने सर, दाहिने हिस्से और बायँ हिस्से को पानी में डुबो कर पानी के अन्दर ही अन्दर हिलाये तो उसके ग़ुस्ल के सही होने में इश्काल है। और एहतियात यह है कि ऐसा न करे। अगर कोई इंसान, जान बूझ कर या मसला न जानने की बिना पर बदन को सर से पहले धो ले तो उसका ग़ुस्ल सही नही है। इंसान को इस बात का नयक़ीन करने के लिए कि उसने सर व गर्द और बदन के दाहिने व बायेँ हिस्से को पूरा धो लिया है, उसे चाहिए कि हर हिस्से को धोते वक़्त उसके साथ बाद वाले हिस्से का भी थोड़ा धो ले। अगर किसी इंसान को ग़ुस्ल करने बाद पता चले कि बदन कुछ हिस्सा धुले बग़ैर रह गया है लेकिन उसे यह पता न हो कि कौनसा हिस्सा रह गया है तो सर का दोबारा धोना ज़रूरी नही है, बल्कि बदन के सिर्फ़ उसी हिस्से को धोना ज़रूरी है, जिसके न धोये जाने का एहतेमाल हो। अगर किसी इंसान को ग़ुस्ल के बाद पता चले कि बदन की कुछ जगह धुलने से रह गयी है, तो अगर वह जगह बायीं तरफ़ की है तो सिर्फ़ उस जगह का धोना काफ़ी है। लेकिन अगर बग़ैर धुली जगह दाहिनी तरफ़  रह गयी हो तो एहतियाते मुस्तहब यह है कि उस जगह को धोने के बाद बायीँ तरफ़ को दोबारा धोया जाये। लेकिन अगर सर या गर्दन का कोई हिस्सा धुले बग़ैर रह गया हो तो ज़रूरी है कि उस हिस्से को धोने के बाद गर्दन से नीचे के पूरे बदन को दोबारा धोये। अगर किसी इंसान को ग़ुस्ल पूरा होने से पहले शक हो कि दाहिनी या बायीं तरफ़ का कुछ हिस्सा धुलने से रह गया है तो उसके लिए ज़रूरी है कि जिस हिस्से के बारे में शक हो सिर्फ़ उसे धेये। लेकिन अगर उसे सर या गर्दन के कुछ हिस्से के न धुलने के बारे में शक हो तो ज़रूरी है कि पहले उस शक वाले हिस्से को धोये और बाद में बदन के दाहिने व बायें हिस्से को दोबारा धोये।
(अयातुल्लाह सिस्तानी (द ब), तौजी हुल मसाइल, मसलाह #360)
ग़ुस्ले इरतेमासी -
इरतेमासी ग़ुस्ल दो तरीक़ों से किया जा सकता है (अ) दफ़ई (आ) तदरीजी। जब इंसान ग़ुस्ले इरतेमासी दफ़ई कर रहा हो तो ज़रूरी है कि एक साथ पूरे बदन को पानी में डुबा दे। लेकिन ज़रूरी नही है कि ग़ुस्ल की नियत से पहले उसका पूरा बदन पानी से बाहर हो। अगर इंसान के बदन का कुछ पानी में और कुछ हिस्सा पानी से बाहर हो और वह वहीँ, ग़ुस्ल की नियत कर के पानी में डुबकी लगा ले तो उसका ग़ुस्ल सही है।  अगर इंसान ग़ुस्ले इरतेमासी तदरीज़ी करना चाहता हो तो ज़रूरी है कि ग़ुस्ल की नियत से, एक दफ़ा बदन को धोने का ख़याल रखते हुए पानी में आहिस्ता आहिस्ता डुबकी लगाये। लेकिन इस तरह के ग़ुस्ल में ज़रूरी है कि ग़ुस्ल से पहले, ग़ुस्ल करने वाले का पूरा बदन पानी से बाहर हो। अगर किसी इंसान को ग़ुस्ले इरतेमासी करने के बाद पता चले कि बदन का कुछ हिस्सा ऐसा रह गया है जिस तक पानी नही पहुँच पाया है, तो चाहे वह इस हिस्से के बारे में जानता हो या न जानता हो, उसके लिए ज़रूरी है कि दोबारा ग़ुस्ल करे। अगर किसी इंसान के पास ग़ुस्ले तरतीबी के लिए वक़्त न हो लेकिन वह इस कम वक़्त में ग़ुस्ले इरतेमासी कर सकता हो तो उसके लिए ग़ुस्ले इरतेमासी करना ही ज़रूरी है। हज व उमरे का एहराम बाँधे होने की हालत में इंसान ग़ुस्ले इरतेमासी नही कर सकता, लेकिन अगर वह भूले से ग़ुस्ले इरतेमासी कर ले, तो उसका ग़ुस्ल सही है।
(अयातुल्लाह सिस्तानी (द ब), तौजी हुल मसाइल, मसलाह #360-370)
गुस्ल करने का सुन्नत तरीका –
गुस्ल की दिल में नियत करे साथ ही ज़बान से कहे तो अफज़ल है. अब दोनों हाथ कलाई तक तीन मर्तबा अच्छी तरह धोये फिर शर्मगाह और उसके आसपास के हिस्सों को धोये चाहे वहाँ गन्दगी लगी हो या नहीं हो. फिर बदन पर जहाँ नजासत लगी हो उसे दूर करें, फिर वजू करें यानी तीन बार कुल्ली करें. की हलक के आखरी हिस्से, दांतों की किन्दो, मसुडो में वगैरह बह जाए. कोई चीज़ दातों में अटकी हो तो उसे निकाले. अब तीन मर्तबा नाक में पानी इस तरह डाले के नाक के आखरी हिस्से (हड्डी) तक पानी पहुँच जाए, अब तीन मर्तबा चेहरे को इस तरह धोये की पेशानी से लेकर ठोटी तक और एक कान से दुसरे कान की लो तक, फिर तीन मर्तबा कोहनियों समेत हाथों पर पानी बहाए. फिर सर का मसा करे. अब अगर आप किसी ऊंची चीज़ यानी चोखी या पत्थर पर नहा रहे है तो पैर धोये वर्ना न धोये.
फिर बदन पर तेल की तरह पानी चुपड़े. फिर 3 मर्तबा दाहिने कंधे पर पानी बहाए फिर बाए कंधे पर 3 बार पानी बहाए फिर सर और तमाम बदन पर 3 मर्तबा पानी बहाए और जिस्म मलते जाए. इसतरह की जिस्म का कोई हिस्सा सुखा न रहे. सर के बालों की जड़ों में, बगल में, शर्मगाह के हर हिस्से में सब जगह पानी पहुँचना जरुरी है. अगर ऊँगली में अंगूठी हो तो घुमाकर पानी पहुंचाये. औरतें अपने कान की बाली, नाक की नथनी वगेराह को घुमाकर पानी पहुँचाये. औरतें सर के बाल खोल ले तो बेहतर है वर्ना ये एहतियात जरुरी है की सर के बाल और सर की जड़ों तक पानी जरुर पहुँचे. अब आपने वजू में पैर न धोये हो तो धो ले. गुस्ल करते वक़्त कोई कलाम या दुआ न पढ़े और क़िबला रुख न हो. अब आप इस्लामी शरियत के मुताबिक पाक हो गए. अब आप साबुन वगैराह हो भी जाईज़ चीज़ लगाना हो लगा सकते है.
(फतवा-ए-रजविया जिल्द २, सफा 18, कानून-ए-शरीयत हिस्सा 1, सफा 41)

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