नमाज़ का तरीका

नमाज़ का तरीका

नमाज़ का तरीका

नमाज़ का तरीका बहुत आसान है. नमाज़ या तो 2 रक’आत की होती है, या 3, या 4 रक’आत की. एक रक’आत में एक क़याम, एक रुकू और दो सजदे होते है.

नमाज़ का तरीका कुछ इस तरह है –

  1. नमाज़ के लिए क़िबला रुख होकर नमाज़ के इरादे के साथ अल्लाहु अकबर कहें कर (तकबीर) हाथ बांध लीजिये.
  2. हाथ बाँधने के बाद सना पढ़िए. आपको जो भी सना आता हो वो सना आप पढ़ सकते है. सना के मशहूर अल्फाज़ इस तरह है –

سُبْـحانَكَ اللّهُـمَّ وَبِحَمْـدِكَ وَتَبارَكَ اسْمُـكَ وَتَعـالى جَـدُّكَ وَلا إِلهَ غَيْرُك

“सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त’आला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका”

  1. इसके बाद त’अव्वुज पढ़े.  त’अव्वुज के अल्फाज़ यह है –

بِسْمِ اللهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيمِِ أعوذ بالله من الشيطان الرجيم

“अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.”

  1. इसके बाद सुरे फातिहा पढ़े.

सुरे फातिहा:

الْحَمْدُ للّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ

الرَّحْمـنِ الرَّحِيمِ

مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ

إِيَّاكَ نَعْبُدُ وإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ

اهدِنَــــا الصِّرَاطَ المُستَقِيمَ

صِرَاطَ الَّذِينَ أَنعَمتَ عَلَيهِمْ غَيرِ المَغضُوبِ عَلَيهِمْ وَلاَ الضَّالِّينَ

अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन.

अर्रहमान निर्रहीम. मालिकी यौमेद्दीन.

इय्याका नाबुदु व इय्याका नस्तईन.

इहदिनस सिरातल मुस्तकीम.

सिरातल लजिना अन अमता अलैहिम, गैरिल मग्ज़ुबी अलैहिम वला ज़ाल्लिन.

 

  1. सुरे फ़ातिहा के बाद इनमें से कोई एक सूरा और पढ़े –

سورة الـفيل               अल-फिल              (पारा 30 – सूरा 105)

سورة قريش               क़ुरइश                   (पारा 30 – सूरा 106)

سورة المـاعون            अल-मा-उन           (पारा 30 – सूरा 107)

سورة الـكوثر              अल-कोसर             (पारा 30 – सूरा 108)

سورة الـكافرون           अल-काफिरून       (पारा 30 – सूरा 109)

سورة الـنصر             अल-नस्र                (पारा 30 – सूरा 110)

سورة الإخلاص           अल-इखलास          (पारा 30 – सूरा 112)

سورة الـفلق               अल-फलक            (पारा 30 – सूरा 113)

سورة الـناس              अन-नास                (पारा 30 – सूरा 114)

  1. इसके बाद الله أكبر अल्लाहु अकबर (तकबीर) कह कर रुकू में जायें.
  2. रुकू में जाने के बाद अल्लाह की तस्बीह बयान करे. आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं. तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है - “सुबहान रब्बी अल अज़ीम”
  3. इसके बाद ‘समीअल्लाहु लिमन हमीदा’ कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये.
  4. खड़े होने के बाद ‘रब्बना व लकल हम्द , हम्दन कसीरन मुबारकन फिही’ जरुर कहें.
  5. इसके बाद الله أكبر अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें.
  6. सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह बयान करे. आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं. तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है ‘सुबहान रब्बी अल आला’
  7. इसके बाद الله أكبر अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे से उठकर बैठे.
  8. फिर दोबारा الله أكبر अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें.
  9. सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह करे. आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं. या फिर वही कहें जो आम तौर पर सभी कहते हें- ‘सुबहान रब्बी अल आला’

यह हो गई नमाज़ की एक रक’आत. इसी तरह उठ कर आप दूसरी रक’अत पढ़ सकते हैं. दो रक’आत वाली नमाज़ में सज्दे के बाद तशहुद में बैठिये.

  1. तशहुद में बैठ कर सबसे पहले अत्तहिय्यात पढ़िए. अत्तहिय्यात के अल्लाह के रसूल ने सिखाये हुवे अल्फाज़ यह है -

‘अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नाबिय्यु रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व आला इबादिल्लाहिस सालिहीन अशहदु अल्ला इलाहा इल्ललाहू व अशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसुलहू’

  1. इसके बाद दरूद पढ़े. दरूद के अल्फाज़ यह है -

اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ اللَّهُمَّ بَارِكْ عَلَى مُحَمَّدٍ، وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا بَارَكْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ

‘अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा सल्लैता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम माजिद. अल्लाहुम्मा बारीक़ अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा बारकता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम माजिद’

  1. इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़े. मतलब कोई भी ऐसी दुआ जो कुर’आनी सुरों से हट कर हो. वो दुआ कुर’आन में से ना हो. साफ साफ अल्फाज़ में आपको अपने लिए जो चाहिए वो मांग लीजिये. दुआ के अल्फाज़ मगर अरबी ही होने चाहिए.
  2. इस तरह से दो रक’अत नमाज़ पढ़ कर आप सलाम फेर सकते हैं. ‘अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह’ कहकर आप सीधे और उलटे जानिब सलाम फेरें.

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